feelinditrip.com

पुष्कर होली (Pushkar Holi)

भारत देश के राजस्थान राज्य में एक सुरम्य शहर, पुष्कर न केवल अपने जीवंत घाटों और पवित्र झील के लिए जाना जाता है, बल्कि देश में सबसे जीवंत और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध होली समारोहों में से एक की मेजबानी के लिए भी जाना जाता है। इस ब्लॉग में हम पुष्कर के रंगों, परंपराओं और महत्व के बारे में जानेंगे जो पुष्कर होली को एक अनोखा और अविस्मरणीय अनुभव बनाते हैं। यह पुष्कर कस्बा राजस्थान के अजमेर जिले की एक तहसील है जो कि अजमेर से ११ किलोमीटर दूर अरावली पर्वत माला के पश्चिम में स्थित है | अजमेर से पुष्कर जाने के बीच में घना जंगल, नाग पर्वत, और हिरण अभ्यारण आता है | पौराणिक मान्यताओ के अनुसार पुष्कर की उत्पति भगवान ब्रह्मा ने की थी | इसलिए यहाँ विश्व का एकमात्र भगवान ब्रह्मा का मंदिर है| पुष्कर को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है| और एक सुंदर झील एवं ५२ घाट भी है | यहाँ आपको हर गली में मंदिर मिल जायेगा | यहाँ का पुष्कर पशु मेला भी विश्वविख्यात है परन्तु उसके बारे में विस्तृत में किसी और ब्लॉग में बात करेगे

  1. आध्यात्मिक प्रस्तावना: पुष्कर में होली का बहुत ही ज्यादा महत्व है, जहां यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। एक पौराणिक कथा अनुसार राजा हिरनकश्यप का बेटा प्रह्लाद था, जो की भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहता था ये सब उसके पिता को पसंद नहीं था क्युकी वो खुद को भगवान विष्णु से भी बढकर मानता था, तो उसने अपने पुत्र को मारने हेतु अपनी बहन होलिका को अपने पुत्र को आग में जलाने के लिए विवश किया क्युकी प्रत्येक वर्ष होलिका जलकर भी जीवित हो जाती थी, तो उसने अपने भाई की बात मानकर अपने भतीजे प्रह्लाद को खुद के साथ जला दिया परन्तु इस बार वह खुद जल गयी, परन्तु भक्त प्रह्लाद भगवान विष्णु की भक्ति के कारण बच गया | इसलिए यह त्यौहार भक्ति की विजय के प्रतिक में मनाया जाता है | भव्य उत्सव, आध्यात्मिक अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों को अपनाया जाता है|
  2. पुष्कर झील में पवित्र स्नान: आध्यात्मिक उत्सव को उत्साह के साथ मानाने के लिए स्थानीय लोग और आगंतुक होलिका दहन की सुबह को अनुष्ठान स्नान और प्रार्थना के लिए पुष्कर झील में स्नान करते हैं। सदियों पुराने रीति-रिवाजों से पूजा की जाती है, जो पुष्कर में होली समारोह को एक अनूठा आयाम देती है। ऐसा माना जाता है कि पुष्कर की पवित्र झील में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
  3. पुष्कर में होलिका दहन: रंगों से होली खेलने के एक दिन पहले शाम को होलिका का प्रतीकात्मक दहन किया जाता है, जो पुण्य की विजय का प्रतीक है। इस अनुष्ठान से जुड़ी सांस्कृतिक कहानियों और मिथकों को गहराई से महसूस करने का बहुत आनंद आता है, जिससे प्रत्याशा और खुशी का माहौल बनता है। होली से एक दिन पहले शाम को वराह घाट पर होलिका दहन और पूजा की जाती है। सूखी लकड़ियों को एक जगह इकट्ठा करके उसे होलिका नामक संज्ञा दी जाती है प्रतीकात्मक तौर पर मिटटी का एक पुतला जिसको भक्त प्रह्लाद की संज्ञा दी जाती है उसे भी साथ रखकर, और शुभ मुहूर्त देखकर उसमें आग लगाकर उसे जलाया जाता है, अंत में प्रह्लाद नहीं जलता है एवं समस्त होलिका जलकर राख़ हो जाती है| उस होलिका में से छोटे छोटे ज्वलनशील लकड़ी के टुकड़ो को स्थानीय लोग घर ले जाते है एवं घर में उपस्थित छोटी होलिका को उन्ही ज्वलनशील कोयले से जलाया जाता है ऐसा करना शुभ माना जाता है|
  4. पारंपरिक लोक प्रदर्शन: पुष्कर होली के साथ होने वाले लोक संगीत, नृत्य और जीवंत प्रदर्शन मंत्रमुक्त कर देते है। पारंपरिक राजस्थानी धुनों से लेकर ऊर्जावान नृत्यों तक, सांस्कृतिक असाधारणता उत्सव में एक जीवंत स्पर्श जोड़ती है। कई जगहों पर लोक नृत्य किये जाते हैं जिनमें आपको देशी-विदेशी झलक देखने को मिलती है। होलिका दहन के पश्चात् लोक संगीत का प्रोग्राम शुरू होता है जिसमे पूरी रात स्थानीय व आगन्तुक नाचते है और आनंद लेते है
  5. रंगोली और सड़क सजावट: जटिल रंगोली डिजाइन और जीवंत सजावट से सजी रंगीन सड़कों पर घूमना एक खुशी है। स्थानीय लोगों की कला बहुत शानदार होती है क्योंकि वे रंगों के त्योहार का स्वागत करने के लिए अपने घरों और सड़कों को खूबसूरती से सजाते हैं।
  6. धुलंडी: रंगों का कार्निवल: रंगों के भव्य कार्निवल में भाग लेना मजेदार है, क्योंकि स्थानीय लोग और पर्यटक जीवंत पाउडर के साथ खेलने के लिए एक साथ आते हैं। उस आनंद, हंसी और एकता का अनुभव एक अलग ही आनंद देता है, जो पुष्कर में धुलंडी त्योहार को परिभाषित करता है। सारी गलिया अलग-अलग रंगों में रंग जाती हैं. रंगों का यह त्योहार होलिका दहन के दुसरे दिन सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक चलता है। पुरुष स्वयं ही अपने ऊपरी वस्त्र फाड़ देते हैं। लेकिन महिलाओं को ऐसा करने पर पाबन्दी है। यहां विभिन्न प्रकार के रंगों के साथ होली का त्योहार मनाया जाता है और एक-दूसरे के गालों पर रंग लगाए जाते हैं। ये रंगबिरंगे रंग आपको गली के दुकानदारो से बहुत की कम कीमत में मिल जायेगे| होली खेलने से पूर्व अपने शरीर पर किसी भी प्रकार का तेल लगा देना चाहिए इससे रंग आपकी त्वचा को नुक्सान नहीं करेगा| अपनी आँखों पर चश्मा, बालो पर कपडा एवं कानो में रुई डाल कर ही होली खेले, इससे पाउडर रंग नाजुक अंगो को नुक्सान न पंहुचा सके | महिलाओ को तंग वस्त्र पहनने से बचना चाहिए एवं ढीले वस्त्रो का चयन करना चाहिए, कुछ लोग शराब का सेवन करके रंग लगाने के बहाने महिलाओ को छुने का प्रयास करते है ऐसे लोगो से बचना चाहिए| महिलाओ को अपने ग्रुप में होली खेलनी चाहिए या बालकनी में खड़े होकर होली देखनी चाहिए|
  1. सामुदायिक दावतें और व्यंजन: होली पुष्कर की समृद्ध पाक परंपराओं की खोज है। सामुदायिक दावतों के दौरान परोसे जाने वाले पारंपरिक राजस्थानी व्यंजनों का आनंद लें सकते है, जो एकजुटता और उत्सव की भावना को बढ़ावा देते हैं। यहां के प्रसिद्ध व्यंजन जैसे दूध से बने मालपुवे और रबड़ी आपको कहीं और नहीं मिलेंगे।
  2. फ़ोटोग्राफ़ी के अवसर: उस दृश्य तमाशे की तस्वीर शानदार होती है, जो पुष्कर होली फोटोग्राफरों को प्रदान करता है। खुशी के स्पष्ट क्षणों से लेकर रंगों के बहुरूपदर्शक विस्फोटों तक, हर फ्रेम इस सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण त्योहार के सार को दर्शाता है। 52 घाटों की तस्वीर, आसपास रहने वाले आदिवासियों की तस्वीर और खूबसूरत झील की तस्वीर हर किसी के मन को संतुष्ट कर देती है। होली खेलते समय तस्वीर लेने से पहले फोटोग्राफी उपकरण जैसे कैमरा, smartphone आदि की देखबाल करके ही फोटो ले क्युकी रंग उपकरण को नुक्सान पंहुचा सकते है |
  3. भागीदारी दिशानिर्देश और शिष्टाचार: पुष्कर होली में भाग लेने के दौरान पालन की जाने वाली सांस्कृतिक संवेदनशीलता और शिष्टाचार के बारे में जानने का अवसर मिलता है। स्थानीय परंपराओं का सम्मान किया जाता है, और इसमें शामिल सभी लोगों के लिए सौहार्दपूर्ण उत्सव सुनिश्चित किया जाता है।
  4. यादों को संजोने के लिए: पुष्कर मैं होली के जीवंत उत्सव के माध्यम से प्राप्त स्थायी यादों और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि पर जोर देकर ब्लॉग को समाप्त करता हूं। मैं पाठकों को इस अनूठे अनुभव को अपनी बकेट सूची में जोड़ने के लिए प्रोत्साहित करता हूँ।

निष्कर्ष: पुष्कर की होली राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक छवि का प्रमाण है। आध्यात्मिकता, परंपरा और बेहद उत्साह के मिश्रण के साथ, यह त्योहार शहर को रंगों के वातावरण में रंग देता है, एक सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करता है जो देखने में आश्चर्यजनक और भावनात्मक रूप से सुंदर है। यहाँ पहुचने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन अजमेर है जो की ११ किलोमीटर है एवं नजदीकी एअरपोर्ट किशनगढ़ व जयपुर राजस्थान है|

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top